पूर्व मध्य रेल के 2 रेलखंड 23.63 किलोमीटर लंबे पंडित दीन दयाल उपाध्याय – सैयदराजा तथा 13.4 किलोमीटर लंबे पहलेजा -सासाराम पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम की कमीशनिंग सितंबर माह के अंत तक कर ली जाएगी।
लगभग 417 किमी लंबे पंडित दीन दयाल उपाध्याय-गया- प्रधानखंटा रेलखंड को ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम से लैस किया जाना है।
इसमें से लगभग 61.86 किलोमीटर रेलखंड पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम की कमीशनिंग की जा चुकी है।
अनुग्रह नारायण रोड-पहलेजा 23 किमी तथा मानपुर- गुरपा 38.86 किमी रेलखंड पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग प्रणाली की कमीशनिंग की जा चुकी है और यह कार्य करना प्रारंभ कर दिया है ।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम क्या होता है
अभी परंपरागत सिगनलिंग सिस्टम चल रहा है, जिसमें एक ब्लाक सेक्शन में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद ही पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है । इससे खाली रेल लाइनों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के मध्य लगभग प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिगनल लगाए जाते हैं । सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी जिससे जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर लगभग एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी। रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी।
वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी। इसके साथ ही कंट्रोल रूम को ट्रेनों के सही लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी।