इस प्रणाली में एक सेक्शन में एक साथ कई ट्रेनों का किया जाता है परिचालन
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में अब स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली यानी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है । ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं।
नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं। जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती है । अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी । जो ट्रेन जहां रहेंगी और वो जहां है वहीं रुक जाएंगी ।
बिलासपुर स्टेशन तथा उसके तीनों दिशा में दाधापारा, चकरभाटा, बिल्हा ,उसलापुर, घुटकू, गतौरा, जयरामनगर तक ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम है, इस कारण इन सेक्शनों में एक के पीछे एक कई ट्रेनें एक साथ चलती रहती हैं ।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चलती है । इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या ( रेलवे लाइन की क्षमता) भी बढ़ गई है ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम:इस कड़ी मे नागपुर से भिलाई 279 किलोमीटर,बिलासपुर – जयरामनगर के मध्य 14 कि.मी., बिलासपुर – बिल्हा के मध्य 16 कि.मी. एवं बिलासपुर – घुटकू के मध्य 16 कि.मी., चांपा से कोरबा 37 किलोमीटर जैसे अनेक रेल खंडो में आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू की गई है । साथ ही कई महत्वपूर्ण रेलखंडों में इस प्रणाली को स्थापित करने का कार्य तेजी से चल रहा है ।
ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागत की दृष्टि से भी कम खर्चीला है । पहले कॉपर के केबल लगाये जाते थे जिसमे लागत ज्यादा आती थी। आजकल ऑप्टिकल फाईबर केबल लगाये जा रहे है जिसकी लागत भी कम होती है एवं इसके चोरी होने का भी भय नही रहता है । दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के सभी महत्वपूर्ण रेल खंडों मे इस प्रकार की ऑप्टिकल फाईबर केबल के साथ आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू करने की योजना है ।