पूर्वोत्तर रेलवे:अक्टूबर माल लदान में 58.82 प्रतिशत वृद्धि

माह अक्टूबर, 2020 में पूर्वोत्तर रेलवे पर रिवेन्यू एवं नाॅन-रिवेन्यू दोनों को मिलाकर 0.297 मिलियन टन माल लदान हुआ जो गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 58.82 प्रतिअधिक है।

माह अक्टूबर, 2020 में 0.255 मिलियन टन रेवेन्यू एवं 0.042 मिलियन टन नाॅन रेवेन्यू लोडिंग की गयी।

पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल ने माह अक्टूबर, 2020 में 0.159 मिलियन टन माल लदान कर सर्वकालिक रिकाॅर्ड बनाया है।

इसी प्रकार विभिन्न माल गोदामों से माह अक्टूबर, 2020 में लगभग 97 (96.5) रेको का लदान अभी तक सर्वोत्तम प्रदर्शन है।

माल लदान से प्राप्त रेल राजस्व रू. 21.70 करोड़ अभी तक का द्वितीय सर्वोत्तम रिकाॅर्ड है।

अक्टूबर, 2020 में 23 एन.एम.जी. रेकों का लदान भी अभी तक का सर्वोत्तम उच्चस्तर है। माह सितम्बर, 2020 में 19 रेकों का लदान हुआ था।  

एक माह में ही माल लदान में चार रेकों की वृद्वि स्वयं में सराहनीय उपलब्धि है।

वित्त वर्ष 2020-21 में माह अक्टूबर तक कुल 63 रेकों में माल लदान हुआ जो गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 13 रेक अधिक है।

इसी परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि इज्जतनगर मंडल में 31 अक्टूबर, 2020 को मालगाड़ी लगभग 64 (63.82) कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलायी गयी। 

इज्जतनगर मंडल का माल लदान में यह अनुकरणीय प्रदर्शन मुख्यालय की बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट (बी.डी.यू.)के उचित मार्ग दर्शन एवं मंडल की बी.डी.यू. के अथक प्रयासों का आशातीत प्रतिफल है। 

आॅटोमोबाइल ट्रैफिक की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के कारखानों में कन्वेंसनल कोचों का एन.एम.जी. वैगनों में कन्वर्जन तेजी से हो रहा है।

इस वर्ष अभी तक 100 कोचों का एन.एम.जी. वैगनों में कन्वर्जन किया गया है। ज्ञात हो कि आॅटोमोबाइल का परिवहन एन.एम.जी. वैगनों के माध्यम से किया जाता है जो सुरक्षित होने के साथ किफायती भी है।

मालगाड़ियों की गति में वृद्वि

पूर्वोत्तर रेलवे ने माल गाड़ियों की गति में वृद्वि के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है।

माह अक्टूबर, 2020 में माल गाड़ियों की औसत गति लगभग 51 (50.59) कि.मी.प्रति घंटा रही,जो हर स्तर पर किए जा रहे समेकित प्रयासों का परिणाम है।

गत वर्ष अक्टूबर माह में मालगाड़ियों की औसत गति 25 कि.मी. प्रति घंटा थी। 31 अक्टूबर, 2020 को माल गाड़ियों की औसत गति लगभग 52 (51.8) कि.मी. प्रति घंटा रही।

मालगाड़ियों के तेज गति से चलने से सामान अपने गंतव्य तक शीघ्र पहुॅच जाता है, जिसका लाभ व्यापारियों एवं उद्योग जगत को होता है तथा वे रेल प्रणाली के माध्यम से माल परिवहन को प्राथमिकता देते हैं।

मालगाड़ियों की गति दोगुनी होने से रेलवे का वैगन पहले की तुलना में आधे समय में पुनः लोडिंग के लिये उपलब्ध हो जाता है, जिससे रेलवे की दक्षता एवं क्षमता का भी विस्तार हुआ है।

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