पश्चिम रेलवे के वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना के विभिन्न खण्डों का कार्य पूर्ण

पिछले 5 वर्षों में, पश्चिम रेलवे ने गुजरात राज्य में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में महत्वपूर्ण  योगदान दिया है। यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ गेज परिवर्तन, विद्युतीकरण, दोहरीकरण और मानव रहित लेवल क्रासिंग को समाप्त करने जैसी परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया गया है। इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए, पश्चिम रेलवे ने वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना के 71.58 किमी खंड के दोहरीकरण कार्य को पूर्ण कर एक अहम उपलब्धि हासिल की है। 23 और 24 मार्च, 2021 को वेस्टर्न सर्किल के रेल संरक्षा आयुक्त ने परियोजना के विभिन्न खण्डों के कार्यों का निरीक्षण किया।

वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना के धनाला – वाधरवा  (25.283 किमी) और मालिया मियाना – सुरबरी ‘बी’ केबिन (10.387 किमी) खंड का रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण होने के बाद यात्री और माल यातायात के लिए इन खंडों को खोलने की अनुमति मिल गई । इससे पहले इस वित्तीय वर्ष में, परियोजना के दो अन्य खंडों अर्थात सादला-जटपिपली (18.223 किमी) और सुखपुर- धनाला (17.587 किमी) क्रमशः अगस्त, 2020 और मार्च, 2021 के महीने में शुरू किये गये । ये भी उल्लेखनीय है कि  यह सभी परियोजनाऍं कोविड–19 की कठिनतम चुनौतियों के बावजूद पूरी की गयी। इसके साथ ही 2020-21 में वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना का 71.58 किमी दोहरीकरण कार्य पूर्ण किया गया।  

धनाला – वाधरवा  खंड पर यातायात के लिए अधिकतम गति 95 किमी प्रति घंटे और मालिया मियाणा – सुरबरी ‘बी’ केबिन सेक्शन के लिए अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटे की अनुमति दी गई  है। इस परियोजना को भारतीय रेलवे की सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं में से एक माना जाता है, क्योंकि वीरमगाम – समखियाली खंड रेलवे का एक प्रमुख माल उत्पादक गलियारा है। पश्चिम रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) श्री सुधांशु शर्मा तथा उनकी टीम ने इस नए दोहरीकृत खंड के कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में अपने उत्कृष्ट कार्य निष्पादन का परिचय दिया है, जिससे लाइन क्षमता में बेहतरीन वृद्धि होगी तथा यह परियोजना रेलवे के साथ-साथ इस रेलवे लाइन से जुड़े सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करेगी। यह स्थानीय जनता के लिए यात्रा को आसान बनायेगी और इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित करेगी । इस परियोजना के दोहरीकृत खण्डों के साथ इस क्षेत्र में सामूहिक विकास की नई राहें खुल गई हैं। 

रेलवे ने गुजरात राज्य में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में महत्वपूर्ण  योगदान दिया है। यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ गेज परिवर्तन, विद्युतीकरण, दोहरीकरण और मानव रहित लेवल क्रासिंग को समाप्त करने जैसी परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया गया है। इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए, पश्चिम रेलवे ने वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना के 71.58 किमी खंड के दोहरीकरण कार्य को पूर्ण कर एक अहम उपलब्धि हासिल की है। 23 और 24 मार्च, 2021 को वेस्टर्न सर्किल के रेल संरक्षा आयुक्त ने परियोजना के विभिन्न खण्डों के कार्यों का निरीक्षण किया।

वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना के धनाला – वाधरवा  (25.283 किमी) और मालिया मियाना – सुरबरी ‘बी’ केबिन (10.387 किमी) खंड का रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण होने के बाद यात्री और माल यातायात के लिए इन खंडों को खोलने की अनुमति मिल गई । इससे पहले इस वित्तीय वर्ष में, परियोजना के दो अन्य खंडों अर्थात सादला-जटपिपली (18.223 किमी) और सुखपुर- धनाला (17.587 किमी) क्रमशः अगस्त, 2020 औ ‘ र मार्च, 2021 के महीने में शुरू किये गये । ये भी उल्लेखनीय है कि  यह सभी परियोजनाऍं कोविड–19 की कठिनतम चुनौतियों के बावजूद पूरी की गयी। इसके साथ ही 2020-21 में वीरमगाम – सामाखियाली दोहरीकरण परियोजना का 71.58 किमी दोहरीकरण कार्य पूर्ण किया गया।  

धनाला – वाधरवा  खंड पर यातायात के लिए अधिकतम गति 95 किमी प्रति घंटे और मालिया मियाणा – सुरबरी ‘बी’ केबिन सेक्शन के लिए अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटे की अनुमति दी गई  है। इस परियोजना को भारतीय रेलवे की सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं में से एक माना जाता है, क्योंकि वीरमगाम – समखियाली खंड रेलवे का एक प्रमुख माल उत्पादक गलियारा है। पश्चिम रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) सुधांशु शर्मा तथा उनकी टीम ने इस नए दोहरीकृत खंड के कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में अपने उत्कृष्ट कार्य निष्पादन का परिचय दिया है, जिससे लाइन क्षमता में बेहतरीन वृद्धि होगी तथा यह परियोजना रेलवे के साथ-साथ इस रेलवे लाइन से जुड़े सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करेगी। यह स्थानीय जनता के लिए यात्रा को आसान बनायेगी और इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित करेगी । इस परियोजना के दोहरीकृत खण्डों के साथ इस क्षेत्र में सामूहिक विकास की नई राहें खुल गई हैं। 

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