माल परिवहन में बढ़ती प्रतिस्पर्धा में अपनी भागीदारी बढ़ाने एवं फ्रेट बिजनेस को बढ़ाने हेतु भारतीय रेलवे तत्पर है । नए रेल लाइनों एवं टर्मिनलों के क्षमता का पूर्ण दोहन करना इसका मुख्य लक्ष्य है । इसीलिए रेल मंत्रालय ने बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशनों पर नई गुड्स शैडों की सुविधाओं की स्थापना और मौजूदा गुड्स शैडों को विकसित करके निजी भागीदारी के माध्यम से टर्मिनल क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखते हुए, निजी निवेश के माध्यम से छोटे और सड़क के किनारे स्थित स्टेशनों पर गुड्स शैडों के विकास पर एक नीति जारी की है ।
पॉलिसी की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: –
• निजी व्यवसाइयों को सामान लदान के स्थान, सामान चढ़ाने /उतारने की सुविधाओं, मज़दूरों के लिए सुविधाएं (छाया के साथ आराम की जगह, पीने का पानी, स्नान की सुविधा आदि) सम्पर्क सड़क, ढंकी हुई शेड और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचे को विकसित करने की अनुमति तथा निजी व्यवसाइयों द्वारा अपने स्वयं के निवेश के माध्यम से सुविधाओं का निर्माण / विकास किया जाना है
• प्रस्तावित सुविधा के लिए सभी विकास कार्य रेलवे के स्वीकृत डिजाइनों के अनुसार होंगे और स्वीकृत रेलवे मानकों और विशिष्टताओं के अनुसार इनका निर्माण किया जाएगा ।
• रेलवे निर्माण के लिए कोई विभागीय या कोई अन्य शुल्क नहीं लेगा ।
• निजी व्यवसायी द्वारा बनाई गई सुविधाओं का उपयोग आम उपयोगकर्ता की सुविधा के रूप में किया जाएगा, और अन्य ग्राहकों के आवागमन पर व्यवसायी के यातायात को अन्य ग्राहकों पर कोई वरीयता या प्राथमिकता नहीं दी जाएगी ।
• समझौते के दौरान बनाई गई संपत्ति और सुविधाओं के रखरखाव की ज़िम्मेदारी निजी व्यवसायी के साथ निहित होगी ।
• इस योजना के तहत प्रोत्साहन: टर्मिनल प्रभार (टीसी) और टर्मिनल एक्सेस चार्ज (टीएसी) में हिस्सेदारी, जैसा भी मामला हो, काम पूरा होने की तारीख से पांच (05) साल के लिए गुड्स-शेड में सभी आने और जाने वाले यातायात के लिए ।
• कम से कम शेयर (टीसी / टीएसी) की मांग करने वाले व्यवसायी को प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से चुना जाएगा, यह कार्य डिवीज़न स्तर पर किया जाएगा ।
• व्यवसायी के लिए अतिरिक्त राजस्व – छोटी कैंटीन / चाय की दुकान, विज्ञापन, आदि की स्थापना के लिए उपलब्ध स्थान का उपयोग ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में भी इस पॉलिसी के तहत गुड्स शेडों के विकास के लिए गुड शेडो को चिन्हित किए जा रहे है ।